भगवान शिव, जिन्हें शंकर, भोले शंकर, भोले बाबा, भोलेनाथ और महादेव के नामों से भी जाना जाता है, इनकी पूजा आरती विशेष रूप से सोमवार के दिन, मासिक त्रयोदशी तिथि और दोनों प्रमुख शिवरात्रियों पर की जाती है। इन अवसरों पर शिव जी की आरती विशेष महत्व रखती है और बड़े श्रद्धा भाव से इन दिनों इनकी स्तुति की जाती है। आईए पढ़ते हैं ओम जय शिव ओंकारा आरती लिखी हुई ।।
शंकर भगवान की - जय शिव ओंकारा आरती लिखित में
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, अर्धांगी धारा ।।
ॐ हर हर महादेव ।।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ा सन वृष वाहन साजे ।।
ॐ हर हर महादेव ।।
दो भुज चार चतुर्भुज, दश भुज अति सोहे ।
तीनों रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे ।।
ॐ हर हर महादेव ।।
अक्ष माला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहे, भोले शशिधारी ।।
ॐ हर हर महादेव ।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाधम्बर अंगे ।
सनकादिक गरूड़ादिक भूतादिक संगे ।।
ॐ हर हर महादेव ।।
कर में मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधर्ता ।
जगकर्ता जग भर्ता जग पालनकर्ता ।।
ॐ हर हर महादेव ।।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ।
ॐ हर हर महादेव ।।
त्रिगुण स्वामी जी की आरती, जो कोई नर गावे ।
भजत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ।
ॐ हर हर महादेव ।।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, अर्धांगी धारा ।।
ॐ हर हर महादेव ।।
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