विष्णु जी की आरती लिखित में

विष्णु भगवान की आरती विशेष रूप से गुरुवार के दिन की जाती है, क्योंकि इस दिन को भगवान विष्णु का प्रिय दिन माना जाता है। इसके अलावा, विष्णु भगवान की आरती सुबह और शाम भी की जा सकती है, लेकिन गुरुवार को उनकी पूजा करने से विशेष लाभ और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इसे शास्त्रों में भी अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। आइये पढ़ते हैं विष्णु भगवान की आरती लिखित में.

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जगदीश जी की आरती - ॐ जय जगदीश हरे आरती लिखित में

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का ।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

मात पिता तुम मेरे, शरण गहुँ मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आश करूँ मैं किसकी ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

तुम पुरण परमात्मा, तुम अर्न्तयामी ।
पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

तुम करूणा के सागर, तुम पालन कर्ता ।
मैं मुरख खलकामी, कृपा करो भर्त्ता ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूँ दयामय, मैं तुमको कुमती ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

दीनबन्धु दुःख हरता, तुम ठाकुर मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, द्वार खड़ा तेरे ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओं, संतन की सेवा ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

तन, मन, धन, सब कुछ है तेरा,
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ।।
ॐ जय जगदीश हरे...।।

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